बात इतनी सी थी क़ि
तुम अच्छे लगते हो ,
अब बात इतनी बढ़ गयी क़ि
तुम बिन कुछ अच्छा नहीं लगता ।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
बात इतनी सी थी क़ि
तुम अच्छे लगते हो ,
अब बात इतनी बढ़ गयी क़ि
तुम बिन कुछ अच्छा नहीं लगता ।
जिसको तलब हो हमारी,
वो लगाये बोली,
सौदा बुरा नहीं..
बस “हालात” बुरे है.!
ज़िन्दगी तूने लहू ले के दिया कुछ भी नहीं|
तेरे दामन में मेरे वास्ते क्या कुछ भी नहीं|
मेरे इन हाथों की चाहो तो तलाशि ले लो,
मेरे हाथों में लकीरों के सिवा कुछ भी नहीं|
हमने देखा है कई ऐसे ख़ुदाओं को यहाँ,
सामने जिन के वो सच मुच का ख़ुदा कुछ भी नहीं|
या ख़ुदा अब के ये किस रंग से आई है बहार,
ज़र्द ही ज़र्द है पेड़ों पे हरा कुछ भी नहीं|
दिल भी इक ज़िद पे अड़ा है किसी बच्चे की तरह,
या तो सब कुछ ही इसे चाहिये या कुछ भी नहीं|
इंतज़ार की आरज़ू अब खो गयी है,
खामोशियो की आदत हो गयी है,
न सीकवा रहा न शिकायत किसी से,
अगर है तो एक मोहब्बत,
जो इन तन्हाइयों से हो गई है..!
इन मासूम निगाहों को पहचानती तो होगी न तुम.!!
!!.अब इनमे दर्द और अश्कों की वजह सिर्फ तुम हो..
खींचो न कमानों को,न तलवार निकालो,
ग़र दुश्मन हो मुकाबिल तो अखबार निकालो।
प्यार का शुक्रिया कुछ इस तरह अदा करू
आप भूल बी जाओ तो मे हर पल याद करू
प्यार ने बस इतना सिखाया हे मूज़े
की खुद से पहले आपके लिए दुआ करू..!!
दूर हो जाने की तलब है
तो शौक से जा बस याद रहे
की मुड़कर देखने की आदत इधर भी नही
कभी इतना मत मुस्कुराना की
नजर लग जाए जमाने की,
हर आँख मेरी तरह
मोहब्बत की नही होती….!!!
आ गया फरक उसकी नजरोँ में यकीनन,
अब वो हमें ‘खास अदांज’ से ‘नजर अदांज करते हैं..!!