गुरुर-ए-हुस्न की मदहोशी में,
उनको ये भी नहीं खबर;
कौन चाहेगा सिवा मेरे,
उनको उम्र ढल जाने के बाद !!……
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
गुरुर-ए-हुस्न की मदहोशी में,
उनको ये भी नहीं खबर;
कौन चाहेगा सिवा मेरे,
उनको उम्र ढल जाने के बाद !!……
बडी उलझन है….
जो चुप रहू तो दिल के दाग जलते है…
जो बोल दू तो बुझते चिराग जलते है…
जोखिम उठाने की आदत ना थी हमे ….
न जाने कैसे इश्क कर बैठे |
जिंदगी में,
एक दूसरे के जैसा होना जरूरी नहीं होता…
एक दूसरे के लिये होना जरूरी होता है…
ख़ुशी तकदीरो में होनी चाहिए,
तस्वीरो में तो हर कोई खुश नज़र आता है ..
हक़ीक़त ना सही तुम
ख़्वाब की तरह मिला करो,
भटके हुए मुसाफिर को
चांदनी रात की तरह मिला करो |
हमें रोता देखकर वो ये कह के चल दिए कि,
रोता तो हर कोई है क्या हम सब के हो जाएँ|
जिंदगी में कभी बिछड़ना पड़े तो मेरी साँसें भी ले जाना,
तुम्हारे बाद ये मेरे किसी काम की नहीं|
हमारी लिखी बात को कोई समझ नहीं पाता …….
क्यों की हम अहसास लिखते है लोग अलफ़ाज़ पढते हैं|
कुछ फासले ऐसे भी होते हैं ..जो तय तो नहीं होते…
पर यक़ीनन नजदीकियां कमाल की रखते हैं …!!