बहुत सोंचा बहुत समझा बहुत देर तक परखा,
तनहा हो के जी लेना
मोहब्बत से बेहतर है!
Category: शायरी
अंधेरो से डरने की डाल कर
आदत मेरी अंधेरो से डरने की डाल कर,
एक शक्श मेरी जिंदगी को रात कर गया ।
तुझे मोहोब्बत भी
तुझे मोहोब्बत भी तेरी औकात से ज्यादा की थी..!!
अब तो बात नफरत की है , सोच तेरा क्या होगा !
कभी हर्श पर
कभी हर्श पर , कभी फर्श पर…
कभी तेरा दर, कभी दरबदर…
गमे आशिक़ी तेरा शुक्रिया…
में कहा कहा से गुज़र गया .
उसके ख़त में
उसके ख़त में इश्क़ की
गवाही आज भी
है….
हर्फ़ धुंधले हो गए हैं मगर
स्याही आज भी
है।।।।।
किसको बरदाश्त है
किसको बरदाश्त है खुशी आजकल
लोग तो दूसरो की …
अंतिम यात्रा की भीङ देखकर भी जल जाते है …!!
ऐ वक्त तु जरा
ऐ वक्त
तु जरा एक मुकाम
तो हासिल करले
कब तक यूं ही
अकेला चलता रहेगा ..
मुझ पे एहसान है
मेरे टूटे हुए पाए तलब का मुझ पे एहसान है।
तेरे दर से उठ कर कहि अब जाया नही जाता।
मोहब्बत असल में मक्कमूल वो राजे हकीकत है ।
समझ में आ गया है पर समझाया नही जाता ।
मोहब्बत के लिए कुछ खास दिल मक्कसुस होते है ।
ये वो नगमा है जो हर साज पे गाया नही जाता।
एक लम्हें पर भी
तुम्हारे..
एक लम्हें पर भी मेरा हक़ नहीं…
ना जाने…
तुम किस हक़ से मेरे हर लम्हें में शामिल हो
जिंदगी सस्ती हो गयी है
आजकल जिंदगी सस्ती हो गयी है साहब….!!!
और जीने के तरीके महँगे हो गए है….!!!