हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं;
जैसे बच्चे भरे बाज़ार में खो जाते है…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हम कुछ ऐसे तेरे दीदार में खो जाते हैं;
जैसे बच्चे भरे बाज़ार में खो जाते है…
उनकी तासीर बेहद कड़वी होती है,,,
जिनकी गुफ्तगु ,शक्कर जैसी होती है,
समझनी है जिंदगी
तो पीछे देखो,
जीनी है जिंदगी को
तो आगे देखो|
ख़त में थे ‘मेरे ही ख़त के टुकड़े’
नादान दिल समझ बैठा कि जवाब आया है…
आसमान की ऊँचाई नापना छोड़ दे…
जमीन की गहराई बढ़ा,अभी ओर नीचे गिरेंगे लोग..
एक सेब गिरा और न्यूटन ने ग्रेविटी की खोज कर ली ! इंसान ही इंसान गिर रहे हैं और कोई मानवता नहीं खोज पा रहा है !
जो देखा ज़िन्दिगी के “तमाशे” को गौर से..!
हर “आदमी” में और कई—–आदमी मिले..!!
मेरे लफ्जों में जिन्दा रहने वाले..
तेरी ख़ामोशी में मर गया हूँ मै…!!…
सब नजरिये की बात है जनाब,…
कर्ण से कोइ पूछे, दुर्योधन कैसा था..!
इतनी मजबूती से इस वीराने के दर बंद हुऐ,
दिल में उतरी ना कोई ज़ात, तेरी ज़ात के बाद !