शब्द मुफ़्त मे

शब्द मुफ़्त मे मिलते है., लेकीन उनके चयन पर “निर्भर” करता है कि उनकी “कीमत” मिलेगी या “चुकानी” पड़ेगी!!

आरजू थी कि

आरजू थी कि एक लम्हा जी लूँ,
तेरे कन्धे पै सर रख के,
मगर ख्वाब तो ख्वाब हैं पूरे कब होते हैं..