मुझे
कहना है अभी
वह
शब्द
जिसे कहकर
निःशब्द को जाऊँ
मुझे
देना है अभी
वह सब
जिसे देकर
निःशेष हो
जाऊँ
मुझे
रहना है अभी
इस तरह
कि मैं रहूँ
लेकिन
‘मैं’ रह न जाऊँ I
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मुझे
कहना है अभी
वह
शब्द
जिसे कहकर
निःशब्द को जाऊँ
मुझे
देना है अभी
वह सब
जिसे देकर
निःशेष हो
जाऊँ
मुझे
रहना है अभी
इस तरह
कि मैं रहूँ
लेकिन
‘मैं’ रह न जाऊँ I
पानी फेर दो इन पन्नो
पर.. ताकि धुल
जाये स्याही..!
ज़िन्दगी फिर से लिखने का मन
करता है.. कभी कभी..!
संबंधो को निभाने के
लिए समय निकालियें ..
वरना जब आपके पास समय होगा,
तब तक शायद संबंध ही ना बचें!!
मुझे सिर्फ़ इतना बता
दो…
इंतज़ार करूँ या बदल जाऊँ तुम्हारी तरह…..
खरीदने निकला था थोड़ी ख़ुशी,
ज्यादा खुश
तो वो मिले जिनकी जेबें खाली थी…!!
आ गई याद शाम ढलते
ही,
बुझ गया दिल चराग जलते ही।
दिल उदास है बहुत कोई
पैगाम ही लिख दो,
तुम अपना नाम ना लिखो गुमनाम ही लिख दो…
“यादों की कसक…साँसों
की थकन…आँखों में नमी है…,
ज़िन्दगी…तुझमे सब कुछ है बस…“उसकी” कमी है…!”
कब तक लब्जो की कारीगरी करता रहूँ
समझ जाओ ना में तुमसे प्यार करता हूँ
जख्म है कि दिखते
…….. नही ,
मगर ये मत समझिए
कि दुखते नही…..!!