कुछ खटकता तो है पहलू में मेरे रह रह कर,
अब ख़ुदा जाने तेरी याद है या दिल मेरा।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कुछ खटकता तो है पहलू में मेरे रह रह कर,
अब ख़ुदा जाने तेरी याद है या दिल मेरा।
सर झुकाने से नमाज़ें अदा नहीं होती,
दिल झुकाना पड़ता है इबादत के लिए..
एक सफ़र ऐसा भी होता है
जिसमें पैर नही दिल थक जाता है…!
हजारो ने दिल हारे है तेरी सुरत देखकर,
कौन कहता है तस्वीर जूआँ नही खेलती
दिल की खामोशी से साँसों के ठहर जाने तक !
याद आयेगा मुझे वो शख़्स मर जाने तक !!
फिर कोई जख्म मिलेगा तैयार रह, ऐ दिल…,
..कुछ लोग फिर पेश आ रहे हैं बहुत प्यार से…
मुझे इसलिए भी पसंद हैं मासूम
लोग,
ख़ुद टूट जाते हैं पर दूसरों का दिल
नहीं तोड़ते
ज़हर का सवाल नहीं था
वो तो में पी गया
तकलीफ़ लोगों को ये थी
की में जी गया ।
मेरे साथ बैठ कर
वक़्त भी रोया आज….
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बोला, बन्दा तू ठीक है;
मैं ही ख़राब चल रहा हूँ….
गलत सुना था कि,इश्क आँखों से होता है….
दिल तो वो भी ले जाते है,जो पलकें तक नही उठाते !!