आप आये जनाब बरसों में
हमने पी है शराब बरसों में
Category: शर्म शायरी
राते बढ़ा देती है
सर्द राते बढ़ा देती है सूखे पत्ते की कीमत…
वक़्त वक़्त की बात है समय सब का आता है…
लोग सच कहते थे
गम इस बात का नहीं के वो बेवफा थीं….
गम इस बात का है के लोग सच कहते थे….
चाँद ने की होगी
चाँद ने की होगी सूरज से महोब्बत इसलिए तो चाँद मैं दाग है मुमकिन है
चाँद से हुई होगी बेवफ़ाई इसलिए तो सूरज मैं आग है……
तेरे बारे में पूछते है
लोग आज भी तेरे बारे में पूछते है कहाँ है वो,
मैं बस दिल पर हाथ रख देता हूँ…
बेशक मुझे छोड़देना
बेवफा कहने से पहले मेरी रग रग का खून निचोड़ लेना.. कतरे कतरे से वफ़ा ना मिले तो बेशक मुझे छोड़देना
घोंसले की फिक्र
घोंसले की फिक्र नें कैदी बनाकर रख दिया..
पंख सलामत थे मेरे पर मैं उड़ न सका..
देखेंगे अब जिंदगी
देखेंगे अब जिंदगी चित होगी या पट…….
हम किस्मत का सिक्का उछाल बैठे हैं….
यादों की हवा
सारा दिन गुजर जाता है,
खुद को समेटने में,
फिर रात को उसकी यादों की हवा चलती है,
और हम फिर बिखर जाते है!
दाव पेंच मालूम है
सब दाव पेंच मालूम है उसको
वो बाजी जीत लेता है मेरे चालाक होने तक