बहुत जलील था वो दिन भी, मेरे लिए….
उधर
मोहब्बत किसी और की होने जा
रही थी…..
इधर लोग कह रहे थे.
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भाई एक “पूड़ी” और देना अच्छी नरम वाली।।।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
बहुत जलील था वो दिन भी, मेरे लिए….
उधर
मोहब्बत किसी और की होने जा
रही थी…..
इधर लोग कह रहे थे.
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भाई एक “पूड़ी” और देना अच्छी नरम वाली।।।
आज दिल की xerox निकलवाई…..
सिर्फ बचपन
वाली तस्वीरें ही रंगीन नज़र आई ……
हालांकि मेरी माँ ने कभी तंत्र विद्या नहीं सीखी है
पर जिस
लड़की पर मै फ़िदा होता हूँ मेरी माँ एक नजर में बता देती है कि ये
चुड़ैल है..
कारवां-ए-ज़िन्दगी हसरतों के सिवा कुछ भी नहीं..
ये किया नहीं, वो
हुआ नहीं, ये मिला नहीं, वो रहा नहीं !!
सूरत सांवली हो….. या चाँद सी..!
बेटियाँ मां बाप के लिए ‘परी’ ही
होती है..!
मुहब्बत
ख़ूबसूरत होगी किसी और दुनियाँ में ।
इधर तो हम पर जो गुज़री है
हम ही जानते हैं ।।
रो रहे थे सब तो मैं भी फूट कर
रोने लगा
वरना मुझको बेटियों की रुख़सती अच्छी लगी
देखकर सोचा तो पाया फासला ही फासला
और सोचकर देखा तुम मेरे बहुत करीब थे
वो जब भी मिलता है अंदाज़ ऐ जुदा होता है
चाँद सौ बार
भी निकले तो नया होता है
लिखता हूँ तो तुम ही उतरते हो क़लम से..
पढ़ता हूँ तो लहजा भी
तुम आवाज़ भी तुम..