रोज मोड़ पर मिल जाती है ऐ बदनसीबी…. कहीं तु मेरी दीवानी तो नही है….
Category: शर्म शायरी
मौज़ूद इस क़दर
मुझको मुझ में ,, जगह नही मिलती .. तू है मौज़ूद इस क़दर ,, मुझ में बिछड़े तो जी ना पायेंगे .
चन्द लफ़्ज़ों में
हम से पूछो शायरी क्या है सेर का फ़न क्या है चन्द लफ़्ज़ों में कोई आह छुपा दी जाय
दर्द का हल
हमने इन्सानों के दुख दर्द का हल ढूँढ लिया क्या बुरा है जो ये सराब उड़ा दी जाये
एक ही ख्वाब देखा
बस एक ही ख्वाब देखा है मैँने…. तेरी साडी मेँ उलझी चाबियाँ…. मेरे घर की..
हर दर्द का मातम
दर्द -ए-दिल की आह तुमं ना समझ सकोगें कभी,, हर दर्द का मातम सरे-आम नहीं होता
जिंदगी की दौड़ में
जिंदगी की दौड़ में तजुर्बा कच्चा रह गया…. हमने न सीखा फरेब, दिल बच्चा रह गया !!
रंग समेटे है
कितने अजब रंग समेटे है ये बेमौसम बारिश खुद मे . . . . अमीर पकौड़े खाने की सोच रहा है तो किसान जहर …
दुश्मन के सितम
दुश्मन के सितम का खौफ नहीं हमको, हम तो दोस्तों के रुठ जानेसे डरते है..
जरा सी बात पे
जरा सी बात पे बरसों के याराने गए, चलो अच्छा हुआ कुछ लोग तो पहचाने गए।