इश्क़ का खेल

इश्क़ का खेल जवानी के लिए होता है बूढ़े मुँह में मुँहासे नही होते !!

मैंने देखा है

मैंने देखा है मोहब्ब़त का हर मंजर.. मैं मुमताज़ नही .पर शाहजहाँ से वाकिफ हूँ.

किस्से बन जाता है

किस्से बन जाता है, कहानियाँ हो जाता है, इक उम्र के बाद आदमी, आदमी नहीं रहता …

हर आदमी में होते हैं

हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी, जिसको भी देखना हो कईं बार देखना।

बड़ा मासूम जज़्बा है

बड़ा मासूम जज़्बा है सदाक़त हो अगर इसमें मुहब्बत को जहाँ भी हो मुहब्बत ढूंढ लेती है

तुझको रुसवा न किया

तुझको रुसवा न किया ख़ुद भी पशेमाँ न हुये, इश्क़ की रस्म को इस तरह निभाया हमने..!!

बदन के घाव दिखा कर

बदन के घाव दिखा कर जो अपना पेट भरता है, सुना है, वो भिखारी जख्म भर जाने से डरता है!

ज़बान कहने से

ज़बान कहने से रुक जाए वही दिल का है अफ़साना, ना पूछो मय-कशों से क्यों छलक जाता है पैमाना !!

कलम खामोश पड़ी है

कलम खामोश पड़ी है मेरी, या तो दर्द दे जाओ या फिर मोहब्बत..

हमने मोह्हबत के नशे में

हमने मोह्हबत के नशे में उसे ख़ुदा बना डाला , और होश तो जब आया जब उसने कहा , ख़ुदा किसी एक का नहीं होता।।

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