इक तेरा हुस्न काफ़िराना था
दूसरी और शराबखाना था,
रास्ता इख़्तियार जो भी करता
आज अपना इमान जाना था…..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इक तेरा हुस्न काफ़िराना था
दूसरी और शराबखाना था,
रास्ता इख़्तियार जो भी करता
आज अपना इमान जाना था…..
पीना है तो पी… पर इस तरह
घर को मयखाना ना बना
मयखाने को घर ना बना
अब तो यकीन करो, मेरे इन आसूँओ
को देखकर तुम..!!
कि मुझे तुम्हारे सिवा किसी और से मोहब्बत ही
नही…
आँख से आंसू कैसे नीचे गिरने दूँ
उसकी यादें मिटटी में मिल जाएँगी
बदलेँगे नहीँ ज़ज्बात मेरे तारीखोँ की तरह…
बेपनाह इश्क करने की ख्वाहीश उम्र भर रहेगी
हर नज़र से उम्मीद मत कर
ऐ दिल! प्यार से देखना किसी की आदत भी होती है॥
दिललगी मै वक़्त-ए-तन्हाई
ऐसा भी आता है,
रात तो आसानी से गुजर जाती है, मगर अँधेरे नही जाते!!
मैं पूछता रहा
और फ़िर..
इस तरह
मिली वो मुझे सालों के बाद ।
जैसे हक़ीक़त मिली हो ख़यालों के बाद ।।
मैं पूछता रहा उस
से ख़तायें अपनी ।
वो बहुत रोई मेरे सवालों के बाद ।।
मैं अपनी चाहतों का
हिस्सा
जो लेने बैठ जाऊं,
तो सिर्फ मेरा याद करना
भी ना लौटा सकोगे ।
कभी बेवजह भी कुछ ना कुछ खरीद लिया करो दोस्तों.. ये वो खुद्दार लोग है जो भिख नही मांगते