वो देखें इधर तो उनकी इनायत, ना देखें तो रोना क्या,
जो दिल गैर का हो, उसका होना क्या, ना होना क्या…
Category: वक़्त शायरी
अधूरेपन का मसला
अधूरेपन का मसला ज़िंदगी भर हल नहीं होता…
कहीं आँखें नहीं होतीं, कहीं काजल नहीं होता…
ग़म मिलते हैं
ग़म मिलते हैं तो और निखरती है शायरी…
ये बात है तो सारे ज़माने का शुक्रिया…
वो दास्तान मुकम्मल करे
वो दास्तान मुकम्मल करे तो अच्छा है
मुझे मिला है ज़रा सा सिरा कहानी का..
उसे ज़ली हुई लाशें
उसे ज़ली हुई लाशें नज़र नही आती
मग़र वह सुई से धागा गुज़ार देता है
लिबास तय करता है
लिबास तय करता है आदमी की हैसियत..
कफ़न ओढ़ लो तो दुनिया कांधे पे उठाती है..
तुझे जी नहीं पा रहे हम
तुझको बेहतर बनाने की कोशिश में,तुझे वक़्त ही नहीं दे पा रहे हम,माफ़ करना ऐ ज़िंदगी, तुझे जी नहीं पा रहे हम…..
ज़ख्म इतने गहरे हैं
ज़ख्म इतने गहरे हैं इज़हार क्या करें; हम खुद निशान बन गए वार क्या करें; मर गए हम मगर खुलो रही आँखें; अब इससे ज्यादा इंतज़ार क्या करें!
मीठी यादों के साथ
मीठी यादों के साथ गिर रहा था,
पता नहीं क्यों फिर भी मेरा वह आँसु खारा था…
यू तो फूल बहूत थे
यू तो फूल बहूत थे बागो मे
पर
हमे पंसद वो था जो सब से अकेला था..!!!!