सिर्फ पछतावे के कुछ हाथ नहीं है आता वक़्त बेकार में जो अपना गँवा देता है!
Category: वक़्त शायरी
फख्र इतना भी
फख्र इतना भी न कर दोस्त कभी सूरत पर सेब को वक्त छुआरा भी बना देता है!
बात हुई थी
बात हुई थी समंदर के किनारे किनारे चलने की बातों बातों में निगाहों के समंदर में डूब गयी..
उलझा के रख दिया है
उलझा के रख दिया है किसी ने जवाब को सीधा सा था सवाल….प्यार करते हो या नहीं…
आशिक़ी के पिंजरे से
आशिक़ी के पिंजरे से,। कोई चिड़िया इधर नही आती
प्यासे जब भी
प्यासे जब भी पानी-पानी करते हैं। दरिया वाले आना कानी करते है।।
मुझ में बेपनाह मुहब्बत
मुझ में बेपनाह मुहब्बत के सिवा कुछ भी नही, तुम अगर चाहो तो मेरी साँसो की तलाशी ले लो..
दिल की कोरी किताब
दिल की कोरी किताब लाया हूँ, नर्म नाज़ुक गुलाब लाया हूँ । तुमने डर-डर के जो लिखे ही नहीं, उन खतों के जवाब लाया हूँ ॥
आजमाया है आज फिर
आजमाया है आज फिर हवाओं ने तो गिला कैसा..! वो कौन सा दौर था जब आंधियो ने चिरागों के इम्तिहान ना लिए….!
हाल पूछते नहीं
हाल पूछते नहीं ये बे-वफ़ा दुनिया जिंदा लोगों का, चले आते हैं तैयार हो कर जनाज़े पे बारात की तरह..