ज़मूरे ने कहा-सारा
तमाशा पेट की खातिर
कोई जादू नहीं है सिर्फ हाथों की सफाई है
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ज़मूरे ने कहा-सारा
तमाशा पेट की खातिर
कोई जादू नहीं है सिर्फ हाथों की सफाई है
एक किश्त ज़िन्दगी की
और भर दी है आज..
एक खाता मौत का बस खुलवाना बाकी है..
मेरी नरमी को मेरी
कमजोरी
मत समझना
ए _नादान
सर झुका के चलता हु तो सिर्फ़ अल्लाह के
ख़ौफ़ से
बड़ा है दर्द का
रिश्ता, ये दिल ग़रीब सही
तुम्हारे नाम पे आयेंगे ग़मगुसार चले
चले
भी आओ…
हुज़ूर-ए-यार हुई दफ़्तर-ए-जुनूँ की तलब
गिरह में लेके
गरेबाँ का तार तार चले
चले भी आओ…
गुलों में रंग भरे,
बाद-ए-नौबहार चले
चले भी आओ कि गुलशन का कारोबार चले
क़फ़स उदास है यारों, सबा से कुछ तो कहो
कहीं तो बहर-ए-ख़ुदा
आज ज़िक्र-ए-यार चले
चले भी आओ…
जो हमपे गुज़री सो गुज़री
मगर शब-ए-हिज्राँ
हमारे अश्क तेरे आक़बत सँवार चले
चले भी
आओ…
कभी तो सुबह तेरे कुंज-ए-लब्ज़ हो आग़ाज़
कभी तो शब
सर-ए-काकुल से मुश्क-ए-बार चले
चले भी आओ…
मक़ाम ‘फैज़’
कोई राह में जचा ही नहीं
जो कू-ए-यार से निकले तो सू-ए-दार
चले
चले भी आओ…!
मत देखो, ऐसी नज़रों से, मुझको अय! हमराज़ मेरे .
मेरा शरमाना, ज़ाहिर कर देता है सब राज़ मेरे.
कितनी बार मशक्क़त की, पर सीधी माँग नहीं निकली.
लगता है कल रूठे साजन, अब भी हैं नाराज़ मेरे.
बरसों पहले, डरते – डरते ,बोसा एक चुराया था.
आज तलक कहती हैं के ‘जानम हैं धोखेबाज़ मेरे’.
आज मेरे अंजाम पे कुछ आँखों से पानी बरसेगा,
इन आँखों ने देखे थे, कुछ जोशीले आग़ाज़ मेरे .
तख़्त ओ ताज गया ,मेरी जागीर गयी,दस्तार गयी.
शाहाना क्यों लगते हैं, उनको अब भी अंदाज़ मेरे
मशहूर थे जो लोग समंदर के नाम से
आँखे मिला नहीं पाए मेरे खाली जाम से
ऐ दिल ये बारगाह मोहब्बत की है यहाँ
गुस्ताखियाँ भी हो तो बहुत एहतराम से
मुरझा चुके है अब मेरी आवाज़ के कँवल
मैंने सदाएं दी है तुझे हर मक़ाम से
कुछ कम नहीं है तेरे मोहल्ले की लड़कियां
आवाज़ दे रही है मुझे तेरे नाम से
जहान की खिलावट में जुलूल नहीं आएगा,
गम-ए-तोहीन से कुबूल नहीं आएगा,
मक्लूल की इबरात है, यह कुर्फा ग़ालिब,
तुम पागल हो जाओगे पर यह शेर समझ नहीं आएगा….
उसकी जीत से होती है खुशी मुझको,
यही जवाब मेरे पास अपनी हार का था…॥
गुड़ियों से खेलती हुई बच्ची की गोद में
आंसू भी आ गया तो समंदर लगा हमें
एक ज़रा सी जोत के बल पर अंधियारों से बैर
पागल दिए हवाओं जैसी बातें करते हैं