अब ना करूँगा

अब ना करूँगा अपने दर्द को बयाँ किसीके सामने,
दर्द जब मुझको ही सहना है तो तमाशा क्यूँ करना !!

कल बहस छिड़ी थी

कल बहस छिड़ी थी मयखाने में जाम कौन सा बेहतरीन है,
हमने तेरे होंठों का ज़िक्र किया और बहस ख़त्म हो गयी…