मुस्कुराहटे तो कई खरीदी थी..
मेरे चेहरे पर कोई जंची ही नही..
Category: वक़्त शायरी
ना रख किसी से
ना रख किसी से मोहब्बत की उम्मीद
ख़ुदा की कसम लोग खूबसूरत बहुत है, पर वफ़ादार
नही |
कौन देगा चाय के पैसे
कौन देगा चाय के पैसे? मुसीबत थी यही,
इसलिए सब धीरे-धीरे चुस्कियां लेते रहे।
बेवजह दीवार पर
बेवजह दीवार पर इल्जाम है बँटवारे का
लोग मुद्दतों से एक कमरे में अलग रहते हैं।
क्यूँ तुम नज़र में न
क्यूँ तुम नज़र में नहीं पर दिल में हो?
आँखों से शायद बह गया तुम्हारा वजूद …
सुनकर ज़माने की
सुनकर ज़माने की बातें तू अपनी अदा मत बदल,
यकीं रख अपने खुदा पर यूँ बार बार खुदा मत बदल……
कितनी मासूम सी है
कितनी मासूम सी है ख्वाहिस आज मेरी,
कि नाम अपना तेरी आवाज़ से सुनूँ !!
याद है मुझे रात थी
याद है मुझे रात थी उस वक़्त जब शहर तुम्हारा गुजरा था फिर भी मैने ट्रेन की खिडकी खोली थी…
काश मुद्दतो बाद तुम दिख जाओ कहीं….
आदमी को परखने की
आदमी को परखने की इक ये भी निशानी है…
गुफ़्तगू ही बता देती है कौन ख़ानदानी है
कौन कहता है आसमां में
कौन कहता है आसमां में सुराख़ हो नहीं सकता
एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारों!