निकाल दिया उसने हमें, अपनी ज़िन्दगी से भीगे कागज़ की तरह, ना लिखने के काबिल छोड़ा, ना जलने के..!
Category: वक़्त शायरी
हमको मोहलत नहीं मिली
हमको मोहलत नहीं मिली वरना,ज़हर का ज़ायक़ा बताते हम…
मेरे इक अश्क़ की
मेरे इक अश्क़ की तलब थी उसको मैंने बारिश को आँखों में बसा लिया |
उस की आँखों में
उस की आँखों में नज़र आता है सारा जहाँ मुझ को; अफ़सोस कि उन आँखों में कभी खुद को नहीं देखा मैंने।
सीधी और साफ हो…
परवाह नहीं चाहे जमाना कितना भी खिलाफ हो, चलूँगा उसी राह पर जो सीधी और साफ हो…!
वो लफ्ज़ कहा से
वो लफ्ज़ कहा से लाऊँ,जो तेरे दिल को मोम कर दे मेरा वजूद पिघल रहा है,तेरी बेरुखी से..!!
किन लफ्ज़ों में
किन लफ्ज़ों में बयाँ करूँ मैं एहमियत तेरी.. तेरे बिन अक्सर मैं अधुरा लगता हूँ..
तू सचमुच जुड़ा है
तू सचमुच जुड़ा है गर मेरी जिंदगी के साथ, तो कबूल कर मुझको मेरी हर कमी के साथ !!!
कहाँ मिलता है
कहाँ मिलता है कभी कोई समझने वाला… जो भी मिलता है समझा के चला जाता है…
फकीरों की मौज का
फकीरों की मौज का क्या कहना साहब, राज ए मुस्कराहट पूछा तो बोले सब आपकी मेहरबानी है !!