जिनका मिलना
नसीब में नही होता।
उनसे मुलाक़ात
कमाल की होती है।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जिनका मिलना
नसीब में नही होता।
उनसे मुलाक़ात
कमाल की होती है।
दौलत की दीवार में तब्दील रिश्ते कर दिये,
देखते ही देखते
भाई मेरा पडोसी हो गया।
बस वो मुस्कुराहट ही कहीं खो गई है,
बाकी तो मैं बहुत खुश हूँ आजकल…
अब गिला क्या करना ..उनकी बेरुखी का ..
दिल ही तो था भर गया होगा …
और थोड़ा सा बिखर जाऊँ ..यही ठानी है….!!!
ज़िंदगी…!!! मैं ने अभी हार कहाँ मानी है….
वों आजाद जुल्फें छू रहीं उनके लबों को…
और हम खफा हो बैठे हवाओं से..
दुनिया से बेखबर
चल कही दूर निकल जाये
मेरी मुलाक़ात तुझसे अब तक अधूरी है,
तू पास ही है मेरे, फिर क्यों ये दूरी है….
शीशा रहे बगल में, जामे शराब लब पर,
साकी यही जाम है, दो दिन की जिंदगानी का…
ख़ुदकुशी करने वाले को इक भरम ये है…
जो भी होगा उसके बाद सब अच्छा होगा…!!