आपके ही नाम से जाना जाता हूँ “पापा”.
भला इस से बड़ी शोहरत मेरे लिए क्या होगी…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
आपके ही नाम से जाना जाता हूँ “पापा”.
भला इस से बड़ी शोहरत मेरे लिए क्या होगी…
सहम उठते हैं कच्चे मकान पानी के खौफ़ से, महलों की आरजू ये है कि बरसात तेज हो।
मोहब्बत का कफ़न दे दो तो शायद फिर जनम ले ले !!
अभी इंसानियत की लाश चौराहे पे रक्खी है !!
फिर यूँ हुआ कि सब्र की उँगली पकड़ कर हम..
इतना चले कि रास्ते हैरान हो गए..
सब्र तहज़ीब है मुहब्बत की
और तुम समझते रहे बेज़ुबान हैं हम
मैंने कब तुम से मुलाकात का वादा चाहा,
मैंने दूर रहकर भी तुम्हें हद से ज्यादा चाहा..
ना जाया कर मुझको
यूँ अकेला छोड़ कर…
सुबह शाम ही नहीं,
मुझे सारा दिन
तेरी जरूरत है……!!!
जो जिंदगी थी मेरी जान..!तेरे साथ गई
बस अब तू उम्र के नक़्शे में वक़्त भरना.!
संभाल के रखना अपनी पीठ को यारो….
“‘शाबाशी'”और ‘खंजर’ दोनो वहीं पर मिलते है ….
शहर के परिन्दे भी जानते है पता मेरा,
बस तुम्हारे ही कदम इस चौखट पर पड़े नहीं !!