आँख प्यासी है

आँख प्यासी है कोई मन्ज़र दे,
इस जज़ीरे को भी समन्दर दे|

अपना चेहरा तलाश करना है,
गर नहीं आइना तो पत्थर दे|

मेरी बात सुन

मेरी बात सुन ‪‎पगली‬ अकेले ‪हम‬ ही शामिल नही है इस ‪जुर्म‬ में….
जब नजरे‬ मिली थी तो ‪‎मुस्कराई तू‬ भी थी.

कुछ अलग ही

कुछ अलग ही करना है तो वफा करो दोस्त,

वरना मजबूरी का नाम ले कर बेवफाई तो सभी करते है !