मैं अक्सर अपनी पेंसिल की नोक तोड़ दिया करता था..| क्योंकि क्लास में शार्पनर लाने वाली वो अकेली लड़की थी..
Category: व्यंग्य
मेरी डायरी के पन्ने
मेरी डायरी के पन्ने बोलते बहुत हैं मै राज छुपाता हूं , ये खोलते बहुत हैं। दिल के शहर का दिल ही, दुश्मन बना मिलता है दिल में रहने वाले दिल तोड़ते बहुत है। वैसे तो लोग प्यार झूठ से करते बहुत है बात दिल दुखाने की हो तो सच बोलते बहुत है। तड़पते है,… Continue reading मेरी डायरी के पन्ने
बदल जाता है
एक तेरे ना होने से बदल जाता है सब कुछ कल धुप भी दीवार पे पूरी नही उतरी-
मैं तबाह हूँ
मैं तबाह हूँ तेरे प्यार में तुझे दूसरों का ख्यालहै….!!! कुछ तो मेरे मसले पर गौर कर मेरी जिन्दगी का सवाल है….!!!
नाज है मुझे
नाज है मुझे मेरे प्यार पर , ना वो बेवफा ना मै बेवफा ….. बस मॉ – बाप के फर्ज ने हमको जुदा किया …….!!
कायम है इश्क
बरसो से कायम है इश्क अपने उसुलो पे.. ये कल भी तकलीफ देता था ये आज भी तकलीफ देता है
वो मेरे पास
वो मेरे पास नहीं मेरे दिल के पास तो है चिराग एक है और दो घरो में जलता हैं
दिल टूट जाता है
हुस्न वालों का वजन ही इतना होता है कि दिल में बैठाते ही दिल टूट जाता है |
न जाने कब
न जाने कब खर्च हो गये , पता ही न चला….! . . . वो लम्हे , जो छुपाकर रखे थे “जीने के लिए”…!!
ये उम्मीद नही थी.
मुझे किसी के बदल जाने का गम नही है, बस कोई था जिससे ये उम्मीद नही थी..!!