हँसते रहो तो दुनिया साथ है,
आँसुओ को तो आँखों में भी जगह नहीं मिलती ।
Category: व्यंग्य शायरी
दिल तुम्हारी तरफ
दिल तुम्हारी तरफ कुछ यूँ झुका सा जाता है..
किसी बेइमान बनिए का तराज़ू हो जैसा..
गुमान न कर
गुमान न कर अपनी खुश नसीबी का..
खुदा ने गर चाहा तो तुझे भी इश्क़ होगा..
बख्शे हम भी न गए
बख्शे हम भी न गए, बख्शे तुम भी न जाओगे..
वक्त जानता है, हर चेहरे को बेनकाब करना..
ये ना समझना कि
ये ना समझना कि खुशियो के ही तलबगार है हम..
तुम अगर अश्क भी बेचो तो उसके भी खरीदार है हम..
तूने मेरी मोहब्बत की
तूने मेरी मोहब्बत की इंतेहा को समझा ही नहीं..
तेरे बदन से दुपट्टा भी सरकता था तो हम अपनी निगाह झुका लेते थे..
वो मुझे देख कर
वो मुझे देख कर खामोश रहा..
और एक शोर मच गया मुझमें..
अपनी दुनिया में
तुम सो जाओ अपनी दुनिया में आराम से, मेरा अभी इस रात से कुछ हिसाब बाकी है.!!
मत पहनाओ इन्हें
मत पहनाओ इन्हें मनचाहा लिबास
रिश्ते तो बिना श्रृगांर ही अच्छे लगते हैं…
कुछ जख़्मों की
कुछ जख़्मों की कोई उम्र नही होती…साहेब
ताउम्र साथ चलते है ज़िस्म के ख़ाक होने तक…….