अपने रिश्ते में कभी शक़ को न आने देना ये बिना आग ही घर बार जला देता है!
Category: व्यंग्य शायरी
सिर्फ पछतावे के
सिर्फ पछतावे के कुछ हाथ नहीं है आता वक़्त बेकार में जो अपना गँवा देता है!
बात हुई थी
बात हुई थी समंदर के किनारे किनारे चलने की बातों बातों में निगाहों के समंदर में डूब गयी
सितारे भी जाग रहे हो
सितारे भी जाग रहे हो रात भी सोई ना हो.. ऐ चाँद ले चल मुझे वहाँ जहाँ उसके सिवा कोई ना हो ।।
ज़िन्दगी में है
ज़िन्दगी में है थोड़ी उंच नीच मगर, एक मौत है जो यहाँ सबको बराबर बंटी है।
रात को अक्सर
रात को अक्सर ठीक से नींद ही नहीं आती, घर की किश्तें कम्बखत चिल्लातीं बहुत हैं ।
ख़्वाब टूटे हैं
ख़्वाब टूटे हैं मगर हौंसले तो ज़िंदा हैं हम वो है जहाँ मुश्किलें शर्मिंदा हैं।
बस तेरी ख़ामोशी जला देती है
बस तेरी ख़ामोशी जला देती है मेरे दिल को , बाकी सब अंदाज़ अछे है तेरी तस्वीर के . . .
हवा के साथ बहने का मज़ा
हवा के साथ बहने का मज़ा लेते हैं वो अक्सर, हवा का रुख़ बदलने का हुनर जिनको नहीं आता।
मेरी आँखों में
मेरी आँखों में आँसू की तरह एक रात आ जाओ, तकल्लुफ से, बनावट से, अदा से…चोट लगती है।