तुम ही तुम दिखते हो हमें कुछ हुआ तो जरूर है,
ये आइनें की भूल है या मस्त निगाहों का कसूर है !!
Category: व्यंग्य शायरी
इतने चेहरे थे
इतने चेहरे थे उसके चेहरे पर,
आईना तंग आ के टूट गया…..
मैं शिकायत क्यों करूँ
मैं शिकायत क्यों करूँ, ये तो क़िस्मत की बात है..!!
तेरी सोच में भी मैं नहीं, मुझे लफ्ज़ लफ्ज़ तू याद हैं.
मेरी आवारगी में
मेरी आवारगी में कुछ क़सूर अब तुम्हारा भी है,
जब तुम्हारी याद आती है तो घर अच्छा नहीं लगता।
कागज पे तो
कागज पे तो अदालत चलती है,
हमें तो तेरी आँखो के फैसले मंजूर है..!!
वक़्त बदला तो
वक़्त बदला तो बदल गये वो लोग,
जो महफ़िलो में सबसे अज़ीज़ आशना थे.!!
है हमसफर मेरा तू..
है हमसफर मेरा तू..
अब…मंझिल-ऐ-जुस्तजू क्या…??
खुद ही कायनात हूँ…
अब….अरमान-ऐ-अंजुमन क्या…
दर्द छुपाना भी
दर्द छुपाना भी एक हुनर है,
वरना नमक तो हर मुठी में है..!!
वो लम्हा ज़िन्दगी का
वो लम्हा ज़िन्दगी का बड़ा
अनमोल होता है
जब तेरी यादें, तेरी बातें , तेरा माहौल होता है
बहुत दिन हुए तुमने
बहुत दिन हुए तुमने, बदली नहीं तस्वीर अपनी!
मैंने तो सुना था, चाँद रोज़ बदलता हैं चेहरा अपना!!