तुमको दे दी है इशारों में इजाज़त मैंने….
मांगने से ना मिलूं तो चुरा लो मुझको….
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तुमको दे दी है इशारों में इजाज़त मैंने….
मांगने से ना मिलूं तो चुरा लो मुझको….
काश कोई अपना हो , आईने जैसा !
जो हसे भी साथ और रोए भी साथ…
मुझे शायद सूरत देखकर ही प्यार करना था
दिल देख के प्यार करने का नतीजा भुगत लिया मैने !!
आज यह दीवार, परदों की तरह हिलने लगी….
शर्त थी लेकिन कि ये बुनियाद हिलनी चाहिए…
खामोशियाँ ही बेहतर हैँ जिन्दगी के सफर मेँ…..
शब्दों की मार नेँ कई घर तबाह किये हैँ…..
मोहब्बत अब समझदार हो गयी है, हैसियत देख कर आगे बढ़ती है….
सोचता हूँ गिरा दूँ सभी रिश्तों के खंडहर ,
इन मकानो से किराया भी नहीं आता है ….!!
उसकी हर एक शिकायत देती है मुहब्बत की गवाही,
.
अजनबी से वर्ना कौन हर बात पर तकरार करता है!
जब उस की ज़ुल्फ़ में पहला सफ़ेद बाल आया
तब उस को पहली मुलाक़ात का ख़याल आया…
नया कुछ भी नहीं हमदम, वही आलम
पुराना है;
तुम्हीं को भुलाने की कोशिशें, तुम्हीं
को याद आना है…