मजबूर किया तुमने नज़र अंदाज़ करने पर
वरना हम तो तेरे हर अंदाज पर तेरी नज़र उतारा करते थे…..
Category: व्यंग्य शायरी
बदन की क़ैद से
बदन की क़ैद से बाहर,ठिकाना चाहता है
अजीब दिल है,कहीं और जाना चाहता है|
मैं इस दिल में
मैं इस दिल में सबको आने देता हूँ ,
पर कभी शक मत करना क्युकि जहाँ तुम रहती हो वहाँ में किसी को जाने भी नहीं देता…!!
कभी खो लिया
कभी खो लिया
कभी पा लिया
कभी रो लिया
कभी गा लिया
कभी छीन लेती है हर ख़ुशी
कभी मेहरबान बेहिसाब है।
ये जो ज़िन्दगी की
ये जो ज़िन्दगी की किताब है
ये किताब भी क्या किताब है
कभी इक हसीं सा ख्वाब है
कभी जानलेवा अज़ाब है।
कोई ढूंढ लाओ उसको
कोई ढूंढ लाओ उसकोवापस मेरी ज़िन्दगी में…
ज़िन्दगी अब साँसे नहीं,उसका साथ मांग रही है…
जो निखर कर
जो निखर कर बिखर जाये वो “कर्तव्य”है…!
और जो बिखर कर निखर जाए वो “व्यक्तित्व” हैं…!
ईश्वर जिन्हे खून के रिश्ते में
ईश्वर जिन्हे खून के रिश्ते में बाँधना भूलजाता है उन्हें दोस्त बना देता है ……..
किसी दिन प्यास के बारे में
किसी दिन प्यास के बारे में उससे पूछिये…
जिसकी कुएँ में बाल्टी रहती है रस्सी टूट जाती है…!
दरख्ते नीम हूँ मैं
दरख्ते नीम हूँ मैं, मेरे नाम से घबराहट तो होगी …
छाँव ठंडी ही दूँगा, बेशक पत्तों में कडवाहट तो होगी ….