आइये बारिशों का मौसम है,
इन दिनों चाहतों का मौसम है…..
Category: व्यंग्य शायरी
सबकी अपनी अपनी परेशानियाँ है
सबकी अपनी अपनी परेशानियाँ है जनाब,
वरना,मेरी तरह शायरियों में कौन अपना वक़्त बर्बाद करता है..!!
यह आँसूं तुम्हारे दिए हैं
यह आँसूं तुम्हारे दिए हैं, इनसे नादानी नहीं होगी
यह ताउम्र आँख मैं ही रहेंगे, उससे बाहर न आयेंगें
तू बिल्कुल चिलम सी
तू बिल्कुल चिलम सी कड़क
और
मैं बिल्कुल धुँआ धुँआ सा…
दिल तो कोई भी
दिल तो कोई भी बहला देता है,हुज़ूर को दिल दुखाने वाले पसंद हैं!
शिकायतें बचा कर
शिकायतें बचा कर रखिये,मोहब्बत अभी बाकी है।
जब से उसने बारिश में
जब से उसने बारिश में भीगना छोड़ दिया,
बादलों ने मेरे शहर में बरसना छोड़ दिया।
सिर्फ इतना उसे बता देना…
सिर्फ इतना उसे बता देना……!
मुझे आता नहीं भुला देना…
आरजू है कि एक बस तू
आरजू है कि एक बस तू हो या तेरा अहसास हो…
गर दोनो ना हो तो ना मै रहूँ ना मेरा अहसास हो..
कमबख्त बिकता भी नहीं.
किसी टूटे हुए मकान की तरह हो गया हैं ये दिल,
कोई रहता भी नहीं और कमबख्त बिकता भी नहीं.