मोहब्बत की बर्बादी का क्या अफ़साना था,,,,
दिल के टुकड़े हो गये ओर लोगों ने कहा
वाह क्या निशाना था….
Category: व्यंग्य शायरी
उड़ान वालो उड़ानों
उड़ान वालो उड़ानों पे वक़्त भारी है
परों की अब के नहीं हौसलों की बारी है
मैं क़तरा हो के तूफानों से जंग लड़ता हूँ
मुझे बचाना समंदर की ज़िम्मेदारी है
कोई बताये ये उसके ग़ुरूर-ए-बेजा को
वो जंग हमने लड़ी ही नहीं जो हारी है
दुआ करो कि सलामत रहे मेरी हिम्मत
ये एक चराग़ कई आँधियों पे भारी है
फिर पलट रही है
फिर पलट रही है सर्दियो की सुहानी शामें,
फिर उसकी याद में जलने का ज़माना आ
गया
इक तेरा हुस्न
इक तेरा हुस्न काफ़िराना था
दूसरी और शराबखाना था,
रास्ता इख़्तियार जो भी करता
आज अपना इमान जाना था…..
पीना है तो पी
पीना है तो पी… पर इस तरह
घर को मयखाना ना बना
मयखाने को घर ना बना
अब तो यकीन करो
अब तो यकीन करो, मेरे इन आसूँओ
को देखकर तुम..!!
कि मुझे तुम्हारे सिवा किसी और से मोहब्बत ही
नही…
आँख से आंसू
आँख से आंसू कैसे नीचे गिरने दूँ
उसकी यादें मिटटी में मिल जाएँगी
बदलेँगे नहीँ ज़ज्बात
बदलेँगे नहीँ ज़ज्बात मेरे तारीखोँ की तरह…
बेपनाह इश्क करने की ख्वाहीश उम्र भर रहेगी
जाने कितने झूले
जाने कितने झूले थे फाँसी पर,कितनो ने गोली खाई थी….
क्यो झूठ बोलते हो साहब, कि चरखे से आजादी आई थी….
हर नज़र से उम्मीद
हर नज़र से उम्मीद मत कर
ऐ दिल! प्यार से देखना किसी की आदत भी होती है॥