मेरे साथ बैठ के वक़्त भी रोया एक दिन।
बोला बन्दा तू ठीक है …मैं ही खराब चल रहा हूँ।
Category: व्यंग्य शायरी
इंसान में रब होता है
इंसान में रब होता है ये तो ठीक है ..
लेकिन,,भाई ये इंसान कहां होता है l
कितने बरसों का सफर
कितने बरसों का सफर यूँ ही ख़ाक
हुआ। ..जब उन्होंने कहा “कहो..कैसे आना हुआ ?
तुम ये कैसे जुदा हो
तुम ये कैसे जुदा हो गये?!
हर तरफ़ हर जगह हो गये!!
अपना चेहरा न बदला गया!
आईने से ख़फ़ा हो गये!!
अगर अहसास बयां
अगर अहसास बयां हो जाते लफ्जों से तो……
फिर कौन करता कद्र…. खामोशियों की…..
आसमाँ की ऊंचाई
आसमाँ की ऊंचाई नापना छोड़ दे
ए दोस्त….
ज़मीं की गहराई बढ़ा…
अभी और नीचे गिरेंगे लोग
आधे से कुछ ज़्यादा
आधे से कुछ ज़्यादा है…
पूरे से कुछ कम,
कुछ जिन्दगी, कुछ ग़म,
कुछ इश्क, कुछ हम.
तेरे ख्याल में जब
तेरे ख्याल में जब भी
बे-ख्याल होता हूँ…
कुछ देर के लिए ही सही
बे-मिसाल होता हूँ…!
सुना है आज
सुना है आज उस की आँखों मे आसु आ गये……
वो बच्चो को सिखा रही थी की मोहब्बत ऐसे लिखते है !!
वो लोग जो तुझे
वो लोग जो तुझे ,
कभी कभी याद आते हैं …
हो सके तो उन में ,
मुझे भी शुमार कर लेना …