बचपन बड़ा होकर

बचपन —
बड़ा होकर पायलट बनूँगा, डॉक्टर
बनूँगा या इंजीनियर बनूँगा….
जवानी —
“अरे भाई वो चपरासी वाला फॉर्म
निकला की नही अभी तक

तेरा ऐ दिल

माफी चाहता हूँ गुनेहगार हूँ तेरा ऐ दिल,
तुझे उसके हवाले किया जिसे तेरी कदर नहीं

यह समझ पाओ

किसी मासूम बच्चे की तबस्सुम मेँ उतर जाओ,
तो शायद यह समझ पाओ खुदा ऐसा भी होता है…

ऐ दिल मुझसे

ऐ दिल मुझसे बहस ना कर अब चुप भी हो जा,,
उसके बिना साल गुजर गया दिसंबर और गुज़र जाने दे

कलम में जोर

कलम में जोर जितना है जुदाई की बदौलत है,

मिलने के बाद लिखने वाले लिखना छोड़ देते है……..