न हवस उसके जिस्म की, न शौक उसकी लज़्ज़त का,
बिन मतलबी सा बंदा हूँ, उसकी सादगी पे मरता हूँ…..!!!
Category: व्यंग्य शायरी
सौदेबाज़ी करते हैं।
दोस्ती तो बच्चे ही कर सकते हैं,
बड़े तो समझौते और सौदेबाज़ी करते हैं।
देखेंगे अब जिंदगी
देखेंगे अब जिंदगी चित होगी या पट…….
हम किस्मत का सिक्का उछाल बैठे हैं….
यादों की हवा
सारा दिन गुजर जाता है,
खुद को समेटने में,
फिर रात को उसकी यादों की हवा चलती है,
और हम फिर बिखर जाते है!
दाव पेंच मालूम है
सब दाव पेंच मालूम है उसको
वो बाजी जीत लेता है मेरे चालाक होने तक
याद से जाते नहीं
याद से जाते नहीं, सपने सुहाने और तुम,
लौटकर आते नहीं, गुज़रे ज़माने और तुम,
सिर्फ दो चीज़ें कि जिनको खोजती है ज़िंदगी,
गीत गाने, गुनगुनाने के बहाने और तुम..
इश्क़ ही काफी है
दिल एक हो तो कई बार क्यों लगाया जाये;
बस एक इश्क़ ही काफी है अगर निभाया जाये।
तुम बदल जाना..
जो चल सको तो कोई ऐसी चाल चल जाना
मुझे पता भी न चले और तुम बदल जाना…!!
आँखों में सूरमा
आँखों में सूरमा,
चेहरे पर बुर्क़ा,
और
मेरा फटा कुर्ता.
वाह क्या बात है!
तेरी हर बात पे
काली रातों को भी रंगीन कहा है मैंने
तेरी हर बात पे आमीन कहा है मैंने…..