फिर से सूरज

फिर से सूरज लहूलुहान समंदर में गिर पड़ा,
दिन का गुरूर टूट गया और फिर से शाम हो गई .

जिसे अपना चाँद

मैं जिसे अपना चाँद समझता था…
उसने मोहल्ले के आधे से ज्यादा लड़के अंतरिक्ष यात्री बना रखे थे।

जब मैं डूबा

जब मैं डूबा तो समंदर को भी हैरत हुई ……
कितना तन्हा शख़्स है, किसी को पुकारता भी नही…..

नजर की बात है

नजर-नजर की बात है कि किसे क्या तलाश है,
तू हंसने को बेताब है, मुझे तेरी मुस्कुराहटों की ही प्यास हैं…

तेरे दर से मिला है

रुतबा मेरे सर को तेरे दर से मिला है,हलाकि ये सर भी मुझे तेरे दर से मिला है,ऒरो को जो मिला है वो मुकदर से मिला है,हमें तो मुकदर भी तेरे दर से मिला है