ज़रूरी नहीं कि

ज़रूरी नहीं कि हर समय लबों पर खुदा का नाम आये;

वो लम्हा भी इबादत का होता है जब इंसान किसी के काम आये।

अब की बार

अब की बार एक अजीब सी ख्वाहिश जगी है…..

कोई मुझे टूट कर चाहे और मै बेवफा निकलू…