क्या खूब मेरे कत्ल का तरीका तुने इजाद किया ।
मर जाऊँ हिचकियों से, इस कदर तूने याद किया ।
Category: व्यंग्य शायरीमौसम शायरी
मैं तुझसे वाकिफ हूं
ऐ समन्दर मैं तुझसे वाकिफ हूं
मगर इतना बताता हुँ,
वो आंखें तुझसे ज्यादा गहरी हैं
जिनका मैं आशिक हुँ..!
ना जाने रोज कितने लोग
ना जाने रोज कितने लोग रोते रोते सोते है,
और फिर सुबह झूठी मुस्कान लेकर सबको सारा दिन खुश रखते है !!
इस तरह सताया है
इस तरह सताया है परेशान किया है,
गोया कि मोहब्बत नहीं एहसान किया है….!!
हर अल्फाज दिल का
हर अल्फाज दिल का दर्द है मेरा पढ़ लिया करो,
कोन जाने कोन सी शायरी आखरी हो जाये|
हमे कहां मालूम था
हमे कहां मालूम था कि इश्क होता क्या
है…बस…. एक ‘तुम’ मिली और जिन्दगी….
मोहब्बत बन गई |
रात के बाद
रात के बाद सहर होगी मगर किस के लिए
हम ही शायद न रहें रात के ढलते ढलते |
इतनी मोहब्बत दूं की
इतनी मोहब्बत दूं की हो जाये तू मेरा,
फिर ज़माने को तेरे लिए तरसता देखूं…
मेरी बात मानो
मेरी बात मानो तो छोड़ दो ये मोहब्बत करना,
हर हकीम ने हाथ जोड़ लिये है इस मर्ज से !!
हर शख्स परिंदों का
हर शख्स परिंदों का हमदर्द नही होता मेरे दोस्त,
बहुत बेदर्द बेठे है दुनिया में जाल बिछाने वाले !!