खतावार समझेगी दुनिया तुझे ..
अब इतनी भी ज्यादा सफाई ना दे
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
खतावार समझेगी दुनिया तुझे ..
अब इतनी भी ज्यादा सफाई ना दे
झुकती पलकें,उभरती साँसें,मौन होंठ,बोलती
आँखें,सिमटती हया और खुले बाल,
सच कहूँ तुमसे बेहतर जँहा में कुछ देखा नहीं मैंने।
जिंदगी पर बस इतना ही लिख पाई हूँ मैं….
बहुत “मज़बूत” रिश्तें है…कुछ लापरवाह लोगों से|
इन आँखों में, आज फिर नमी सी है…
इस दिल में आज फिर तेरी कमी सी है!!
नहीं भूलती वो तेरी बातें…
याद आ गईं फिर,वो मुलाकातें !!!
आज भी धड़कने बढ़ा देता है उस पल का याद आना,
मेरे जाने पर तेरा लिपट के गले लग जाना।
बहुत सोचती हूँ एक चेहरे के बारे में,
जो मुझे रोता छोड़ गया था चौबारे में।
जिसके दिल में जितना सन्नाटा होता है, महफ़िल में उसकी आवाज़ सबसे ज़ादा गूंजती है..
मुझ को मालूम है सच ज़हर लगे है सब को
बोल सकता हूँ मगर होंट सिए बैठा हूँ..
करीब आओगे, तो शायद हमें समझ लोगे,
ये फासले, तो ग़लतफ़हमियां बढ़ाते हैं|
दरअसल तुम सिर्फ वो जानते हो…जो मेरे लफ़्ज़ कहते हैं.
मेरी हिचक , अफसोस और तलब तो बेजुबान हैं…