जुदाइयाँ तो मुक़द्दर हैं फिर भी जान-ए-सफ़र,
कुछ और दूर ज़रा साथ चल के देखते हैं।
Category: वफा शायरी
न जाने किधर जा रही है
न जाने किधर जा रही है यह दुनिया,
किसी का यहाँ कोई हमदम नहीं है।
तन्हा थी और हमेशा से तन्हा है
तन्हा थी और हमेशा से तन्हा है जिंदगी,
है यही जिंदगी का नाज़ और क्या है जिंदगी|
मुझे भी शुमार करो
मुझे भी शुमार करो अब गुनहगारों की फेहरिस्त में,
मैं भी क़ातिल हूँ हसरतों का, मैंने भी ख्वाहिशों को मारा है…।
इश्क का कैदी
इश्क का कैदी बनने का अलग ही मजा है।
छूटने को दिल नहीं करता और उलझने में मजा आता है।।
दौर वह आया है, कि कातिल की सज़ा कोई नहीं,
हर सज़ा उसके लिए है, जिसकी खता कोई नहीं|