अकेले कैसे रहा जाता है…

अकेले कैसे रहा जाता है… कुछ लोग यही सिखाने हमारी ज़िन्दगी में आते हैं..

कहानियाँ लिखने लगा

कहानियाँ लिखने लगा हूँ मैँ अब, शायरियों मेँ अब तुम समाती नहीँ…

तुम मिली तो ऐसा लगा

तुम मिली तो ऐसा लगा कि पूरी दुनिया को पा लिया… जब तुम जुदा हुईं मुझसे, तो ऐसा लगा किसी ने मेरा दिल ही निकाल लिया|

मेरी आँखों में

मेरी आँखों में पढ़ लेते हैं, लोग तेरे इश्क़ की आयतें… किसी में इतना भी बस जाना अच्छा नहीं होता|

किस्मत की लकीरों में

किस्मत की लकीरों में नहीं था नाम उसका शायद, जबकि उनसे मुलाकात तो हर रोज़ होती थी।

जाने कितनी रातों की

जाने कितनी रातों की नीदें ले गया वो, जो पल भर मौहब्बत जताने आया था।

तुम्हारे पास कोई

तुम्हारे पास कोई यकीन का ईक्का हो तो बतलाना, हमारे भरोसे के तो सारे पत्ते जोकर निकले…!!

सोचा था इस कदर

सोचा था इस कदर उनको भूल जाएंगे, देख कर भी उन्हें अनदेखा कर जायेंगे, जब सामने आया उनका चेहरा, तो सोचा, बस इस बार देख लें, अगली बार भूल जाएंगे…..

लफ्ज़ वही हैं

लफ्ज़ वही हैं , माने बदल गये हैं किरदार वही ,अफ़साने बदल गये हैं उलझी ज़िन्दगी को सुलझाते सुलझाते ज़िन्दगी जीने के बहाने बदल गये हैं..

कांच था मैं

कांच था मैं किस तरह हीरे से करता दोस्ती.. क्या पता कब काट देगा प्यार से छू कर मुझे…

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