उसने मेरे ज़ख्मो का यूँ किया इलाज,
मरहम भी लगाया तो काँटों की नोक से….
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
उसने मेरे ज़ख्मो का यूँ किया इलाज,
मरहम भी लगाया तो काँटों की नोक से….
दोस्तों आज तो खुद ही रोया और रो के चुप भी हो गया,
सोचा अगर वो अपना मानती तो यू रोने न देती…
जाने क्यों अधूरी सी रह गई है जिंदगी लगता है
जैसे खुद को किसी के पास भूल आए..
तुझसे अच्छे तो जख्म हैं मेरे उतनी ही
तकलीफ देते हैं जितनी बर्दास्त कर सकूँ..
डूबी है मेरी उंगलियाँ मेरे ही खून में,
ये काँच के टुकड़ों पर भरोसे की सज़ा है…
नहीं फुरसत यकीन मानो कुछ और करने की तेरी बातें ,
तेरी यादें बहुत मशरूफ रखती हैं|
तू जरुरी सा है मुझको
जिन्दा रहने के लिए|
इश्क ओर दोस्ती मेरे दो जहान है,
इश्क मेरी रुह, तो दोस्ती मेरा ईमान है,
इश्क पर तो फिदा करदु अपनी पुरी जिंदगी,
पर दोस्ती पर, मेरा इश्क भी कुर्बान है
कोई दीवाना गलियों में सेर गुनगुनाता फिरता रहा
कोई आवाज़ आती रही रात भर
तू चेहरे की बढ़ती सलवटों की परवाह ना कर
हम लिखेंगे अपनी शायरी में हमेशा जवां तुझको ।।