मैं तो फिर भी इंसान हूँ,बहक जाना फितरत में शामिल है मेरी
हवा भी उसको छूने के बाद देर तक नशे में रहती है|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मैं तो फिर भी इंसान हूँ,बहक जाना फितरत में शामिल है मेरी
हवा भी उसको छूने के बाद देर तक नशे में रहती है|
मोहब्बत ऐसी धडकन हैं जो समझाई नही जाती….ज़ुबां पे दिल की बेचैनी कभी लाई नही जाती….
कागज कोरा ही रहने दीजिऐ
वरना बेवजह दर्द ब्यान हो जाऐगा !
बन्द कर देता है “आँखे” अक्ल कि..
” इश्क” जब वारदात करता है…!!
लुटा चुका हूँ बहुत कुछ,
अपनी जिंदगी में यारो;
मेरे वो ज़ज्बात तो ना लूटो,
जो लिखकर बयाँ करता हूँ|
जो उनकी आँखों से बयां होते हैं,
वो लफ्ज़ शायरी में कहाँ होते हैं।
धुले नहीं दाग खून के और
हमे बद्दुआ देने चले आए है।
खूबसूरती न सूरत में है न लिबास में….
निगाहें जिसे चाहे उसे हसीन कर दें|
आहिस्ता बोलने का उनका अंदाज़ भी कमाल था..
कानो ने कुछ सुना नही और दिल सब समझ गया..
दुआ जो लिखते हैं उसको दग़ा समझता है
वफ़ा के लफ्ज़ को भी वो जफ़ा समझता है
बिखर तो जाऊं गा मैं टूट कर,झुकूँ गा नहीं
ये बात अच्छी तरह बेवफा समझता है|