करीब आ जाओ जीना मुश्किल है तुम्हारे बिना,
दिल को तुम से ही नही, तुम्हारी हर अदा से मोहब्बत है…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
करीब आ जाओ जीना मुश्किल है तुम्हारे बिना,
दिल को तुम से ही नही, तुम्हारी हर अदा से मोहब्बत है…
आज भी आदत में शामिल है,
उसकी गली से होकर घर जाना.
ज़िंदगी कम लगे ऐसी मोहब्बत चाहिए,
मुझे अपने वजूद की पूरी कीमत चाहिए…!
और भी शेर है लिखने को तिरंगा तो कम से कम साफ़ रहने दो भाई
ये बात मुझे आज तक समझ नहीं आई..
तुमहे मैं “सुकुन” बुलाऊ या “बेचैनी”..
कभी हूँ हर खुशी की राह में दीवार काँटों की,
कभी हर दर्द के मारे की आँखों की नमी हूँ मैं….
दबे पाँव आती रही यादें सब तुम्हारी,
एक बार भी यादों के संग तुम नहीं आये…
जिंदगी से यही गिला है मुझे ,
वो बहुत देर से मिला है मुझे ..
भांप ही लेंगे, इशारा सरे महफ़िल जो किया…..!
ताड़ने वाले क़यामत की नज़र रखते हैं….
कितने चालाक है कुछ मेरे अपने भी …
उन्होंने तोहफे में घड़ी तो दी …
मगर कभी वक़्त नही दिया…!!!