सीख रहा हूँ

सीख रहा हूँ मै भी अब मीठा झूठ बोलने का हुनर, कड़वे सच ने हमसे, ना जाने, कितने अज़ीज़ छीन लिए|

इस जहां में

इस जहां में कब किसी का दर्द अपनाते हैं लोग ,

रुख हवा का देख कर अक्सर बदल जाते हैं लोग|