हुस्न भी तेरा,
अदाएं भी तेरी,
नखरे भी तेरे,
शोखियाँ भी तेरी,
कम से कम इश्क़ तो मेरा रहने दे…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हुस्न भी तेरा,
अदाएं भी तेरी,
नखरे भी तेरे,
शोखियाँ भी तेरी,
कम से कम इश्क़ तो मेरा रहने दे…
मेरी उम्र का अंदाज़ मेरे तज़ुर्बे से लगाना,
मैंने सावन कम देखे होंगे पर बारिशें खूब देखी है।
एक तमन्ना
तेरे संग गुज़र जाए ..
ये उम्र जो बाक़ी है …
मेरे शहर मैं खुदाओं की कमी नहीं है,दिक्कतें तो मुझे आज भी
इंसान ढूंढने में होती है…
ज़िंदगी में आईना..जब भी उठाया करो…
पहले खुद देखो फिर दिखाया करो..
रिश्ते और नाते.. मतलब की पटरी पर चलने वाली वो रेलगाड़ी है,
जिसमे..जिस जिस का स्टेशन आता वो उतर जाता है !
निकाल दिया उसने हमें,
अपनी ज़िन्दगी से भीगे कागज़ की तरह,
ना लिखने के काबिल छोड़ा, ना जलने के..!
हमको मोहलत नहीं मिली वरना,ज़हर का ज़ायक़ा बताते हम…
मेरे इक अश्क़ की तलब थी उसको
मैंने बारिश को आँखों में बसा लिया |
परवाह नहीं चाहे जमाना कितना भी खिलाफ हो,
चलूँगा उसी राह पर जो सीधी और साफ हो…!