उलझा हुआ हूँ अभी तक उसकी बातों में,
लफ्ज उसके बहुत घुँघराले है….!!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
उलझा हुआ हूँ अभी तक उसकी बातों में,
लफ्ज उसके बहुत घुँघराले है….!!!
लफ्ज़ो से तरावट जा नही सकती,
लहज़े में बनावट आ नही सकती, ये सिला है माँ बाँप की दुआओ का
“साहिल”,
तेरे कामों में कभी रुकावट आ नही सकती ।।
मेरी आँखों के जादु से अभी तुम कहा वाकिफ हो ,
हम उसे
भी जीना सिखा देते हैं जिसे मरने का शौक हो ।
जिक्र होता है जब कहीं मुहब्बत का
तेरा नाम हौले से
लेकर मेरे लब मुस्कुराते हैं
याद करता होगा वो मुझे….
मेरे दिल से ये वहम क्यों नहीं जाता.!!!
तूफान भी आना ,…
जरुरी है जिंदगी में..
तब जा कर पता चलता है …
कौन” हाथ छुड़ा कर भागता है.. और “कौन” हाथ पकड़ कर.
मैं जैसा हूँ , मुझे वैसा ही
रहने दे अगर मैं सुधर गया ,तो तुझे मुझसे प्यार हो जाएगा
कागज़ भी मेरे पास है कलम भी मेरे पास है…!
लिखू तो क्या लिखू दिल तो उसके पास है…!!
किस्मत बुरी या,मै बुरा,
ये फैसला न हो सका,
मै सबका हो गया, मेरा
कोई हो न सका
ऐ इश्क़ ! तेरा वकील बन के बुरा किया
मैनें यहाँ हर शायर तेरे खिलाफ सबूत लिए बैठा हैं………