दिल खामोश है

दिल खामोश है मगर होंठ हँसा करते हैं
बस्ती वीरान है मगर लोग बसा करते हैं
नशा मयकदों में अब कँहा है यारों..
लोग अब मय का नहीं.
“मैं ”
का नशा करते हैं…….

गिरवी रह जाऐगे

मैं रहूँ, ना रहूँ, …मेरी यादें मेरी सांसें ,

मेरे एहसास,

मेरे अल्फ़ाज़ सब तुम्हारे

पास गिरवी रह जाऐगे |