तेरी याद इलाज -ए- ग़म है,
सोंच तेरा मुकाम क्या होगा!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तेरी याद इलाज -ए- ग़म है,
सोंच तेरा मुकाम क्या होगा!
तेरी मोहब्बत तो
जैसे सरकारी नौकरी हो,
नौकरी तो खत्म हुयी
अब दर्द मिल रहा है पेंशन की तरह!
तकदीरें बदल जाती हैं जब
ज़िंदगी का कोई मकसद हो,
वरना ज़िंदगी कट ही जाती है
तकदीरों को इल्ज़ाम देते देते!
दुरुस्त कर ही लिया
मैंने नज़रिया अपना,
कि दर्द न हो तो
मोहब्बत मज़ाक लगती है!
हद पार करने की भी…
एक हद होती है|
सरेआम न सही फिर भी
रंजिश सी निभाते है..
किसी के कहने से आते
किसी के कहने से चले जाते..
न रूठना हमसे हम मर जायेंगे!
दिल की दुनिया तबाह कर जायेंगे!
प्यार किया है हमने कोई मजाक नहीं!
दिल की धड़कन तेरे नाम कर जायेंगे!
मेरी ख़ामोशी की ख्वाहिश भी तुम,
मेरी मोहब्बत की रंजिश भी तुम….
जिश हो दिल में तो…
खुल के गिला करो….
भूलना भुलाना दिमाग़
का काम है साहिब….
आप दिल में रहते हो….
बेफिक्र हो जाओ….!!