तारीख हज़ार साल में बस इतनी सी बदली है,…
तब दौर पत्थर का था अब लोग पत्थर के हैं|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तारीख हज़ार साल में बस इतनी सी बदली है,…
तब दौर पत्थर का था अब लोग पत्थर के हैं|
वक्त से पूछ कर बताना जरा,
जख्म क्या वाकई भर जाते हैं..!
हम हो गए तुम्हारे,
तुम्हें सोचने के बाद;
अब न देखेंगे किसी को,
तुम्हें देखने के बाद
दुनिया छोड़ देंगे,
तुम्हें छोड़ने के बाद;खुदा!
माफ़ करे इतने झूठ बोलने के बाद!
किसी से जुदा होना अगर इतना आसान
होता ,
तो….
जिस्म से रूह को लेंने कभी फरिस्ते
ना आते !!
आज़ाद कर दिया हैं. हमने भी उस
पंछी को ,
जो हमारी दिल की कैद में
रहने को तोहीन समजता था ..।
दिल के दरवाज़े पे दस्तक हो रही हैं..
आज फिर एक याद सता रही हैं..
दिल की गहरयों मे झाँक के देख..
परदेस मे आज फिर तेरी याद आ रही हैं..
जीना चाहते हैं मगर ज़िन्दगी रास नहीं आती!
मरना चाहते हैं मगर मौत पास नहीं आती!
बहुत उदास हैं हम इस ज़िन्दगी से!
उनकी यादें भी तो तड़पाने से बाज़ नहीं आती!
रात हुई जब शाम के बाद!
तेरी याद आई हर बात के बाद!
हमने खामोश रहकर भी देखा!
तेरी आवाज़ आई हर सांस के बाद!
दीवाने है तेरे नाम के इस
बात से इंकार नहीं कैसे कहे
कि तुमसे प्यार नहीं कुछ तो कसूर है
आपकी आखों का हम
अकेले तो गुनहगार नहीं|
अपने दिल की बात उनसे कह नहीं सकते,
बिन कहे भी जी नहीं सकते,
ऐ खुदा! ऐसी तकदीर बना,
कि वो खुद हम से आकर कहे कि,
हम आपके बिना जी नही सकते|