आज भी आदत में शामिल है,
उसकी गली से होकर घर जाना.
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
आज भी आदत में शामिल है,
उसकी गली से होकर घर जाना.
ये बात मुझे आज तक समझ नहीं आई..
तुमहे मैं “सुकुन” बुलाऊ या “बेचैनी”..
अच्छा हैं आँखों पर पलकों का कफ़न हैं..
वर्ना तो इन आँखों में बहुत कुछ दफन हैं.!
पहले मन पर काम करो
और फिर तन पर काम करो
इसके बाद जो वक़्त बचे
उसमें धन पर काम करो|
मुद्दत से तमन्नाएं सजी बैठी हैं दिल में
इस घर में बड़े लोगों का रिश्ता नही आता |
खो गई है मेरे यार के चेहरे की चमक…..!
चाँद निकले तो जरा उसकी तलाशी लेना….
मीठे बोल बोलिए क्योंकि
अल्फाजों में जान होती है,
इन्हीं से आरती, अरदास और अजान होती है|
हम भी शामिल हैं खेल में लेकिन
सिर्फ सिक्का उछालने के लिए.!
किसी ने कहा आपकी आँखे बड़ी खूबसूरत है,
मैने कह दिया कि, बारिश के बाद अक्सर मौसम सुहाना हो जाता है।
कसक पुराने ज़माने की साथ लाया है,
तिरा ख़याल कि बरसों के बाद आया है !!