तुम सावन का महीना हो
मै तुझपे छाया हूँ झूले की तरह|
Category: मौसम शायरी
अब तो पत्थर भी
अब तो पत्थर भी बचने लगे है मुझसे,
कहते है अब तो ठोकर खाना छोड़ दे !!
वक़्त किसी का ग़ुलाम
लोग कहते हैं कि वक़्त किसी का ग़ुलाम नहीं होता
फिर तेरी मुस्कराहट पे वक़्त क्यूँ थम सा जाता है|
निकाल दिया उसने
निकाल दिया उसने हमें,
अपनी ज़िन्दगी से भीगे कागज़ की तरह,
ना लिखने के काबिल छोड़ा, ना जलने के..!
मेरे इक अश्क़ की
मेरे इक अश्क़ की तलब थी उसको
मैंने बारिश को आँखों में बसा लिया |
किन लफ्ज़ों में
किन लफ्ज़ों में बयाँ करूँ मैं एहमियत तेरी..
तेरे बिन अक्सर मैं अधुरा लगता हूँ..
तू सचमुच जुड़ा है
तू सचमुच जुड़ा है गर मेरी जिंदगी के साथ,
तो कबूल कर मुझको मेरी हर कमी के साथ !!!
कहाँ मिलता है
कहाँ मिलता है कभी कोई समझने वाला…
जो भी मिलता है समझा के चला जाता है…
फकीरों की मौज का
फकीरों की मौज का क्या कहना साहब,
राज ए मुस्कराहट पूछा तो बोले सब आपकी मेहरबानी है !!
तुम बेशक चले गये
तुम बेशक चले गये हो इश्क का स्कूल छोड़कर,
हम आज भी तेरी यादों की क्लास में रोज़ हाजरी देते है|