ज़रा सी ढंग की रोटी क्या मांग ली देश के सिपाही ने…
सरकार ने तो बन्दुक ही छीन ली…
Category: मौसम शायरी
तमाम लोगों को
तमाम लोगों को अपनी अपनी मंजिल मिल चुकी,
कमबख्त हमारा दिल है, कि अब भी सफर में है।
मेहरबान होकर बुला लो
मेहरबान होकर बुला लो मुझे किसी वक़्त,
मैं गया वक़्त नहीं कि फिर आ भी ना सकूँ…..
मुझे देखो न इस तरह
मुझे देखो न इस तरह गहरी निगाह से तुम….!!!
दिल डूबने सा लगता है मोहब्बत के ख्य्याल से
रंजिश ही सही
रंजिश ही सही , दिल को दुखाने के लिए आ,
आ फिर से मुझे , छोड़ जाने के लिए आ…..
मिलता तो बहुत कुछ है
मिलता तो बहुत कुछ है इस जिंदगी में,
बस हम गिनती उसी की करते है जो हाँसिल ना हो सका !!
जो फ़ना हो जाऊं
जो फ़ना हो जाऊं तेरी चाहत में तो ग़ुरूर ना करना,
ये असर नहीं तेरे इश्क़ का, मेरी दीवानगी का हुनर है !
तेरे इश्क में
तेरे इश्क में डूब कर कतरे से दरिया हो जाऊँ
मैं तुमसे शुरू होकर तुझमें ख़त्म हो जाऊँ…
तुम कभी भी
तुम कभी भी मोहब्बत आजमा के देखना मेरी हम जिंदगी से हार जायेंगे मोहब्बत से नहीं.
तुम्हारे हँसने की वजह
तुम्हारे हँसने की वजह बनना चाहता हूँ ,
बस इतना हैं तुमसे कहना………